ईडी को जांच में पता चला है कि पीएफआई को विदेश से फंडिंग हो रही थी। खाड़ी देशों में उसका बड़ा नेटकर्क हैं और 13000 से ज्यादा लोग इसमें शामिल हैं। सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, कतर ओमान में इसके सक्रिय सदस्य हैं। इस प्रतिबंधित संगठन ने समितियां बनाई थीं, जो फंड जुटाने में लगी थीं। हवाला के माध्यम से भी फंड भेजा जा रहा था।
इस्लामिक आंदोलन खड़ा करने की कोशिश
पीएफआई इस्लामिक आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहा था। अहिंसक हवाई हमले और गुरिल्ला हमले की भी साजिश थी। पीएफआई पर वर्ष 2022 में ताबड़तोड़ छापे पड़े थे। एनआईए, ईडी और स्थानीय पुलिस ने यह कार्रवाई की थी। उसी समय इसके गंदे इरादों का पर्दाफाश हुआ था। वर्ष 2022 में पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया था।
भारत को अस्थिर करने की मंशा
पीएफआई भारत में जिहाद के जरिये अशांति फैलाना चाह रहा था। भारत को अस्थिर करने की मंशा थी। यह गृहयुद्ध की तैयारी में था। वर्ष 2020 में दिल्ली में हिंसा भड़काने का भी इस पर आरोप है। हाथरस में उसने सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2022 में पटना यात्रा के दौरान अशांति फैलाई और साजिश रची।
56 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की 35 अचल संपत्तियों को जब्त किया है। इन संपत्तियों की कुल कीमत 56.56 करोड़ रुपये है। ये संपत्तियां पीएफआई के विभिन्न ट्रस्ट, फर्मों और व्यक्तियों के नाम पर थीं। ईडी ने शुक्रवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पीएफआई और उसके सदस्यों द्वारा देश और विदेशों से अवैध तरीके से धन जुटाकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और उन्हें वित्तपोषित करने का षड्यंत्र रचा गया था।