ओएम थरुवना द्वारा लिखे गए लेख को रविवार को दैनिक सिराज ने प्रकाशित किया। इसके जरिए मुनंबम भूमि को वक्फ प्रापर्टी साबित करने की कोशिश की गई। इसमें कहा गया कि मुनंबम में जमीन खरीदकर रह रहे लोग बेकसूर हैं। उन्हें वक्फ बोर्ड की जमीन बेचकर आपराधिक साजिश की गई थी। लेकि, अब वक्त आ गया है कि राज्यभर में बेची गई वक्फ संपत्तियों और जमीनों को वापस ले लिया जाए। लेख में यह बताने
समस्थ (समस्थ केरल जेम-इय्याथुल उलमा) के ईके गुट के मुखपत्र ‘सुप्रभातम’ के बाद, एपी गुट के ‘सिराज’ ने एक लेख में कहा कि लगभग 600 परिवारों की मुनंबम भूमि वक्फ बोर्ड की है और इसे वर्तमान मालिकों से वापस ले लिया जाना चाहिए। द स्टेट्समैन सिराज में छपे लेख के हवाले से दावा करता है कि लेख में सबसे अधिक इस बात पर जोर दिया गया कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियां समुदाय की सार्वजनिक संपत्ति है और इसलिए इसे देश के कानून और इस्लामी कानून के सहारे बेचा या किसी को विरासत में नहीं दिया जा सकता है।
इससे पहले कथित सुन्नी मुस्लिम विद्वानों के संगठन समस्थ के मुखपत्र में सुप्रभातम् में भी इसी तरह के दावे किए गए हैं। इसमें छपे लेख में कहा गया था कि वक्फ बोर्ड की जमीन को किसी की संतुष्टि के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है।
क्या है पूरा मामलागौरतलब है कि मुनंबम में 410 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने हाल ही में अपना दावा ठोंक दिया था। वक्फ बोर्ड ने मुनंबम में रह रहे 600 से अधिक ईसाई परिवारों को नोटिस भेजकर उन्हें बताता है कि वो जिस जमीन पर वर्षों से रह रहे हैं, असल में वो वक्फ बोर्ड की जमीन है। उन्हें इसे खाली करना होगा। इसके बाद से ये ईसाई परिवार लगातार वक्फ बोर्ड के इस कदम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।