बजरंग बागड़ा ने बताया कि विहिप के सर्वोच्च नीति निर्धारक मंच का संचालन संतों द्वारा किया जाता है, जिसमें केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इस मंडल की बैठक साल में दो बार होती है, लेकिन अब इसे क्षेत्रवार अर्धवार्षिक रूप में करने का निर्णय लिया गया है। पहली क्षेत्रीय बैठक तिरुपति में सोमवार को आयोजित होगी, जिसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य संत शामिल होंगे।
प्रमुख मुद्दों पर होगी चर्चा
बैठक में हिंदू समाज के सामने उत्पन्न हो रही विभिन्न चुनौतियों, उनके संभावित समाधानों, और विशेष रूप से संतों की भूमिका पर चर्चा की जाएगी। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर फैली भ्रांतियों पर भी प्रमुख रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। विहिप के अनुसार, इस प्रसाद विवाद ने पूरे हिंदू समाज को चिंतित कर दिया है, और संतों की उपस्थिति में इस पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है।
विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया कि बैठक में तिरुपति बालाजी प्रसाद को लेकर संतों द्वारा प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना भी है। इस संदर्भ में संतों का नेतृत्व और भूमिका महत्वपूर्ण होगी, जिससे हिंदू समाज की चिंताओं का समाधान किया जा सकेगा। इस बैठक के दौरान हिंदू समाज की रक्षा और धर्म-संस्कृति के संरक्षण के उपायों पर भी गंभीर विचार-विमर्श किया जाएगा।