प्रयागराज महाकुम्भ 2025 – दादरानागर हवेली, नागालैंड, लेह, छत्तीसगढ़, गुजरात, आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों का संगम

VSK Telangana    22-Jan-2025
Total Views |

 
kumbha

 
प्रयागराज महाकुम्भ में सांस्कृतिक विविधता का रंग देखने को मिल रहा है। संगम तट पर विभिन्न राज्यों के पवेलियन सजकर तैयार हैं।

राज्य सरकार की ओर से मंत्रियों ने खुद निमंत्रण बांटे हैं, जिसका व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है। एक जगह पर ही एक साथ सभी राज्यों की सांस्कृतिक समृद्धि देखी जा सकती है। सेक्टर 7 में नागालैंड का चांगलो, लेह का शोंडोल लोक नृत्य सहित दादरानगर हवेली, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान की संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा।

मध्य प्रदेश का पवेलियन जनजातीय भगोरिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियों के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। यह नृत्य आदिवासी समुदाय द्वारा होली से पूर्व मनाए जाने वाले भगोरिया उत्सव का हिस्सा है, जिसमें रंग-बिरंगे परिधान, ढोल-मजीरे की गूंज और गुलाल से खेलते हुए नृत्य महाकुम्भ को विशेष बना रहा है। यहां दस-दस दिन के अंतराल पर धार्मिक फिल्में भी दिखाई जा रही हैं। शाम 6:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां हो रही हैं। मंडप में लगी वैदिक घड़ी श्रद्धालुओं के आकर्षण का विशेष केंद्र है। वैदिक घड़ी का अनावरण प्रधानमंत्री ने गत वर्ष 29 फरवरी को उज्जैन में किया था। इसे पंडाल के बाहर ही स्थापित किया गया है।


kumbha2 

राजस्थान का पवेलियन महाकुम्भ में अपनी ऐतिहासिक धरोहर को प्रदर्शित कर रहा है। राजस्थान के प्रसिद्ध किले हवा महल, जयगढ़, चित्तौड़ किला और विजय स्तंभ की झलकियां दिखाई जा रही हैं। श्रद्धालुओं के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की गई है। राजस्थान के लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम 45 दिनों तक लगातार चलेंगे।

गुजरात का गरबा, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी, उत्तर प्रदेश का जोगिनी नृत्य, उत्तराखंड का छोलिया और छत्तीसगढ़ का छेरछेरा नृत्य महाकुम्भ के मंच पर विशेष पहचान बना रहे हैं। हर राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत किया है। दादरानगर हवेली का मुखौटा नृत्य, नागालैंड का चांगलो और लेह लद्दाख का शोंडोल भी महाकुम्भ की सांस्कृतिक धारा में रंग भर रहे हैं।

कला, साहित्य, और सांस्कृतिक समृद्धि का संगम

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने कला और साहित्य के रचनात्मक विकास को भी बढ़ावा दिया है। यहां सांस्कृतिक प्रदर्शन, संगीत, नृत्य और प्रदर्शनी के माध्यम से भारतीय संस्कृति के विविध पहलुओं का संचार किया जा रहा है। महाकुम्भ के पवेलियनों के माध्यम से भारतीय एकता और विविधता का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है।