चीन ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर कसी लगाम, अब सलाह देने के लिए दिखानी होगी डिग्री

VSK Telangana    01-Nov-2025
Total Views |
 
 
requiring degrees
 

चीन में सोशल मीडिया पर तरह-तरह के विषयों पर सलाह देने वाले इन्फ्लुएंसर्स की अब मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहां की कम्युनिस्ट सरकार ने 25 अक्टूबर 2025 से एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत अब कोई भी व्यक्ति अगर डॉक्टर, वकील, टीचर या फाइनेंशियल एक्सपर्ट बनकर सलाह देना चाहता है, तो उसे अपनी डिग्री या प्रोफेशनल लाइसेंस दिखाना जरूरी होगा। पहले तक कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाकर मेडिकल, कानून या शिक्षा जैसे विषयों पर “ज्ञान” दे सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार का कहना है कि यह कदम गलत जानकारी और झूठी सलाह फैलाने से रोकने के लिए उठाया गया है।

क्यों बनाए गए ये नए नियम- चीन की साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (CAC) ने बताया कि इन नियमों का मकसद सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों और झूठी जानकारी पर लगाम लगाना है। कई बार लोग बिना किसी डिग्री या अनुभव के डॉक्टर या फाइनेंशियल एक्सपर्ट बनकर सलाह देते हैं, जिससे जनता गुमराह होती है। अब सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी होगी कि वे यह सत्यापित करें कि इन्फ्लुएंसर सच में उस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं या नहीं। साथ ही, उन्हें अपने वीडियो या पोस्ट में यह साफ बताना होगा कि जो जानकारी दी जा रही है, वह किसी अध्ययन या शोध पर आधारित है या नहीं।

कौन से ऐप्स पर लागू होंगे ये नियम- WeChat: इसके 1.3 अरब से ज्यादा यूजर्स हैं। यह मैसेजिंग, पेमेंट और सोशल नेटवर्किंग तीनों सुविधाएं देता है। Douyin: टिकटॉक का चीनी वर्जन, जिसके 700 मिलियन यूजर्स हैं। Weibo: भारत के ट्विटर जैसा प्लेटफॉर्म, जिसके 600 मिलियन से अधिक यूजर्स हैं। Little Red Book: खासकर महिलाओं में लोकप्रिय ऐप, जो ब्यूटी, शॉपिंग और लाइफस्टाइल पर केंद्रित है। अब इन सभी प्लेटफॉर्म्स को अपने इन्फ्लुएंसर्स की पहचान और योग्यता की जांच करनी होगी। CAC ने यह भी कहा है कि अब कोई भी व्यक्ति एजुकेशनल या हेल्थ वीडियो के नाम पर दवाइयों, फूड सप्लीमेंट या स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों का प्रचार नहीं कर सकेगा। साथ ही, अगर किसी वीडियो में AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का उपयोग किया गया है, तो यह जानकारी दर्शकों को देनी होगी। Cyberspace Administration of China (CAC) चीन की एक सरकारी एजेंसी है, जो इंटरनेट पर निगरानी और नियंत्रण रखती है। इसे 2011 में बनाया गया था और यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधीन काम करती है।