अमेरिका के विश्वविद्यालयों में बढ़ती हिंदू घृणा, Rutgers घटना से उजागर हुआ पक्षपात

VSK Telangana    03-Nov-2025
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Rutgers University
 

अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्राय: कहा जाता है कि वहां हिन्दूफोबिया है। लेकिन फोबिया तब होता है, जब किसी से उसके हिंसक इतिहास के कारण डर लगे। हिंदुओं का तो ऐसा कोई हिंसक इतिहास रहा ही नहीं है, जिसके कारण हिंदूफोबिया जैसा शब्द गढ़ा जाए। वास्तव में हिन्दुओं के प्रति घृणा है। यह घृणा अकादमिक विमर्श में सबसे अधिक उभरकर आती है, क्योंकि हिन्दू इतिहास को अब्राहमिक एकडेमिक्स के चश्मे से देखा जाता है।

हाल ही में न्यू जर्सी की Rutgers University में अमेरिका में हिन्दुत्व: समानता और धार्मिक बहुलता के लिए एक खतरा, विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ। इसमें एक पक्षीय और हिन्दू घृणा से भरी हुई रिपोर्ट पर चर्चा हुई थी। पैनल डिस्कशन किसी भी यूनिवर्सिटी के अकादमिक उत्तरदायित्वों का भाग होते हैं, और विद्यार्थियों के मध्य अकादमिक विमर्श उत्पन्न करने के लिए आवश्यक होते हैं। परंतु यह भी महत्वपूर्ण है कि जिस व्यक्ति या धार्मिक विचार को लेकर बहस या चर्चा हो रही है, कम से कम उस धार्मिक विचार के किसी व्यक्ति को चर्चा में आमंत्रित तो किया जाए!

जब Rutgers यूनिवर्सिटी में चर्चा हुई, तो उसमें एक भी हिन्दू को शामिल नहीं किया गया था। इसका आयोजन 27 अक्टूबर को किया गया था। इसके विरोध में हिन्दू विद्यार्थियों ने समारोह स्थल के बाहर मौन प्रदर्शन भी किया था। इस आयोजन के आयोजकों की निष्पक्षता पर अब प्रश्न उठ रहे हैं। ये प्रश्न अमेरिका के नेता और हिन्दू संगठन दोनों ही उठा रहे हैं।

आयोजन से पहले भेजा गया था पत्र

कॉलिशन ऑफ हिंदुस ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने इस आयोजन के होने से पहले ही कदम उठाने के लिए आह्वान किया था। अपनी वेबसाइट पर उन्होंने लिखा था कि 27 अक्टूबर को Hindutva in America: A Threat to Equality and Religious Pluralism पैनल डिस्कशन किया जा रहा है। हिन्दू समुदाय के कई लोगों के लिए यह केवल पैनल डिस्कशन नहीं है, अपितु यह दुख, डर और गहरी चिंता का विषय है। यह आयोजन पूरे समुदाय को अलग-थलग कर रहा है और हिन्दू समुदाय और फैकल्टी के प्रति दुराग्रह और संदेह को भड़का रहा है।

कोहना ने इसे करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग बताया था। उन्होंने लिखा कि यह पैनल डिस्कशन इसलिए और खतरनाक है, क्योंकि यह लंबे समय से चले आ रहे और सम्माननीय हिन्दू संगठनों की संघीय जांच की बात करता है और साथ ही यह उन्हें विदेशी एजेंट के रूप में ब्रांडिंग करते हुए अनुरोध करता है कि हिन्दू संगठनों को फ़ॉरेन एजेंट रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर करे। इससे भी अधिक यह अमेरिका में ऐसे किसी भी व्यक्ति के प्रवेश को बिना किसी प्रक्रिया के प्रतिबंधित करने की मांग करता है, जिस पर भारत में अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा का समर्थन करने का आरोप भर हो।

कोहना ने अपील की थी कि इस आयोजन का विरोध हो, क्योंकि यह एक समुदाय के प्रति घृणा से भरा हुआ आयोजन है। और आज की वास्तविकता यह है कि Rutgers यूनिवर्सिटी अमेरिका में सबसे ज्यादा हिंदू विद्यार्थी हैं। फिर भी यहां उन्हें असहिष्णुता का सामना करना पड़ता है और वह भी केवल समाज के असामाजिक तत्वों से नहीं अपितु हर उस संस्थान से, जिन्हें उनकी रक्षा करनी चाहिए।

हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन ने भी किया था विरोध

हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन ने भी Rutgers में आयोजित इस आयोजन का विरोध किया था। इस संस्थान ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, “हम एक 22 वर्ष पुराने 501c3 गैर-लाभकारी संगठन के रूप में लिख रहे हैं, जिनमें यूनिवर्सिटी के कई पूर्व छात्र भी सम्मिलित हैं, जो एक विविध और भारी आप्रवासी समुदाय हिन्दू अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।”

इस फाउंडेशन ने भी 27 अक्टूबर को आयोजित होने वाली “Hindutva in America: A Threat to Equality and Religious Pluralism, बहस का विरोध किया था। इस पेज पर लिखा था कि वे लोग यह नहीं चाहते कि यह आयोजन निरस्त हो जाए, अपितु Rutgers प्रशासन से यह स्पष्ट करने के लिए कह रहे हैं, कि जो भी आमंत्रित वक्ता हैं, क्या वे यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करते हैं या फिर आयोजकों का? हम यूनिवर्सिटी से यह कह रहे हैं कि आयोजन से खुद को अलग करें और आधिकारिक लोगों को हटाएं।

यह भी बहुत हास्यास्पद है कि सोशल मीडिया अमेरिका में बढ़ रही इस्लामिक कट्टरता की घटनाओं से भरा पड़ा है, परंतु अकादमिक विमर्श में हिन्दुत्व को मिटाने की बात करते हुए एकपक्षीय रिपोर्ट एवं एकपक्षीय कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

10,000 ईमेल भेजे गए

इस आयोजन के विरोध को लेकर Rutgers के पास लगभग 10,000 ईमेल भेजे गए थे और यह यूनिवर्सिटी से अनुरोध किया गया था कि वह इस हिन्दू विरोधी कार्यक्रम से खुद को अलग कर ले। इस आयोजन से पहले अमेरिकी कॉन्ग्रेस से जुड़े कुछ लोगों ने यूनिवर्सिटी को पत्र भेजा था और चिंता जताई थी। इन नेताओं ने इस आयोजन को “राजनीति से प्रेरित एवं अनुचित तरीके से हिन्दू विद्यार्थियों पर निशाना साधने वाला बताया था।”