
भुवनेश्वर। देश के युवाओं में शक्ति असीमित हैं। यदि देश के युवा राष्ट्रभक्ति व निस्वार्थ भाव से कार्य करें तो भारत पुनः विश्वगुरु के पद पर आसीन होगा । इसलिए हमें देश के युवाओं के मन में राष्ट्रभक्ति व समाज के प्रति निस्वार्थ भाव से कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए । वर्तमान में देश में अनुकूल वातावरण है । ऐसे में देश का युवा व सामान्य देशवासी यदि इस कार्य में लग जाएं तो भारत 2047 तक विकसित देश बन जाएगा । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ओडिशा (पूर्व) प्रांत के सह संपर्क प्रमुख डॉ वसंत पति ने यह बातें कही। डॉ पति भुवनेश्वर के आचार्य विहार में स्थित क्षेत्रीय शिक्षा प्रतिष्ठान में संघ के भुवनेश्वर महानगर द्वारा आयोजित युवा सम्मेलन के समारोप कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे ।
पांच सौ से अधिक युवाओं के इस कार्यक्रम में डॉ पति ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विगत एक सौ वर्षों से हिन्दू समाज को संगठित व शक्तिशाली बनाने के लक्ष्य को लेकर कार्य करता आ रहा है। संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने उस समय की स्थिति का गहरा अध्ययन किया और देश के गुलामी के मूल कारणों की पहचान की। उन्हें लगा कि जब तक हिन्दू समाज को संगठित नहीं किया जाता तथा उनमें स्व की भावना का जागरण नहीं किय़ा जाता तब तक भारत को परम वैभवशाली नहीं बनाया जा सकता है । इस कारण उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।
पिछले सौ सालों में संघ ने अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया है। डॉ पति ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर पंच परिवर्तन का आह्वान किया है । इसमें स्व का बोध, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता एवं कुटुम्ब प्रबोधन शामिल हैं । इस पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में न्यायपालिका में अब भी गर्मी की छुट्टी होती है। देश स्वतंत्र होने से पूर्व अंग्रेज यह न्यायाधीश होते थे । वे गर्मियों में भारत में नहीं रह पाते थे । इस लिए उस समय भारत में न्यायपालिका में गर्मियों की छुट्टी होती थी । लेकिन भारत स्वतंत्र होने के बाद भी यह प्रक्रिया जारी है।
स्व का अभाव के कारण ऐसा हो रहा है । इसलिए देश में स्व का जागरण करना होगा । इसके साथ साथ हमें नागरिक कर्तव्यों के प्रति सजग रहना होगा । नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता व सद्भाव से ऊंच-नीच जाति भेद समाप्त होंगे। पर्यावरण से सृष्टि का संरक्षण होगा तथा कुटुम्ब प्रबोधन से परिवार बचेंगे और बच्चों में संस्कार बढ़ेंगे। कार्यक्रम में भुवनेश्वर के जिला संघचालक श्रीनिवास मानसिंह ने कहा कि समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति समाज का ऋणी होता है । ऐसे में हमें समाज के ऋण से अऋण होने का प्रयास करते रहना चाहिए । कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने समाज ऋण को चुकाने के लिए ऐसे काम करते हैं जिससे समाज उनका ऋणी हो जाता है । ऐसे लोग महापुरुष होते हैं । ऐसा कार्य करने के लिए किसी प्रकार का संसाधन, शिक्षा आदि की आवश्यकता नहीं होती । उन्होंने दशरथ मांझी का उदाहरण देते हुए कहा कि संसाधन आदि न होते हुए भी उन्होंने अपने जीवन काल में ऐसा कार्य किया जिससे समाज उनका ऋणी बन गया । श्री मानसिंह ने युवा सम्मेलन में उपस्थित युवाओ से आह्वान किया कि वे समाज के ऋण का परिशोध करने के लिए कुछ न कुछ करते रहैं । समाज को जोडें तथा समाज में अच्छी पहलों के शुरुआत करें ।