हिंदुओं की जमीन पर मजार जिहाद

VSK Telangana    06-Jun-2025
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Mazar jihad

उत्तराखंड में 540 अवैध मजारों को ध्वस्त किया जा चुका है। देवभूमि में 300 से अधिक अन्य अवैध मजारें हैं जिन पर अभी कार्रवाई करनी बाकी है। सरकारी भूमि पर अवैध तरीके से बनाई गई मजारें ध्वस्त की जा रही हैं। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं,जिनमें निजी जमीन पर मजार बना दी गई है। अवैध मजार पर बैठने वाले खादिम उत्तराखंड के हिन्दुओं को मनगढ़ंत कहानी सुनाकर उन्हें अपने झांसे में ले लेते हैं। इनमें ज्यादातर वंचित समाज के हिंदू और जनजाति समुदाय के लोग होते हैं।

पिछले दिनों पछुवा, देहरादून में ऐसे दो उदाहरण सामने आए जहां अवैध मजार और निजी भूमि पर बनी मजार ध्वस्त की गई थी। दोनों ही मजार वंचित समाज के लोगों की भूमि पर बनी हुई थीं। जब उनसे इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमने मन्नत मांगकर ये मजार बनवाई हैं। उन्होंने बताया कि वे किसी परेशानी के चलते एक मजार पर गए थे, तब वहां बैठे खादिम ने उन्हें कई कहानियां सुनाईं और कहा कि ‘आप की इच्छा पूरी हो जाए तब मजार पर चादर चढ़ाना और अपने जमीन पर बाबा का एक मजार बनवा देना। आपको इतना दूर भी आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए उन्होंने ऐसा किया। खादिम ने यहां आकर खुद मजार बनवाई और चादर चढ़वाई। अब हम ही यहां दीया बाती करते हैं।’

खादिम हर महीने आता है और जो पैसा यहां जमा होता है, उसे निकालकर ले जाता है। इस सूचना के बाद से पुलिस प्रशासन ने ऐसे खादिमों की तलाश शुरू की तो वे अपने ठिकानों पर नहीं मिले। पुलिस और वन विभाग इन खादिमों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की तैयारी में है।

 
 
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गरीब तबके के हिंदू बने निशाना

इन अवैध सीमेंट की मजारों पर अंधविश्वास के चलते वंचित और गरीब तबके के हिंदू ही माथा टेकने के लिए ज्यादा जाते हैं। वहां पर खादिमों के लोग दीया, धूप अगरबत्ती, चादर, प्रसाद का धंधा करते हैं। कालू शाह ,भूरे शाह जैसे नाम की एक नहीं, दर्जनों मजारें अब सामने आ चुकी हैं जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया है। निजी भूमि पर फर्जी मजारें बनाने वालों को भी जिला प्रशासन ने नोटिस दिया है। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि कोई भी मजहबी स्थल बिना जिलाधिकारी की अनुमति के नहीं बनाया जा सकता। यदि कोई बनाना चाहता है या उसकी मरम्मत करना चाहता है तो उसे जमीन संबंधी दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होता है। इसके बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी एक समिति उस पर सहमति देती है।

अवैध मदरसों पर कसी नकेल

उत्तराखंड सरकार के गृह विभाग द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह जानकारी मिली कि राज्य में 539 मदरसे अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। राज्य में कुल 416 मदरसे ही मदरसा बोर्ड में पंजीकृत हैं। धामी सरकार ने पिछले तीन महीनों में 215 अवैध मदरसों को सील कर दिया है, शेष पर कार्रवाई जारी है। इनमें जनपद उधम सिंह नगर में 65,देहरादून में 44, हरिद्वार में 81, पौड़ी गढ़वाल में 02, नैनीताल में 22 और अल्मोड़ा जिले में एक अवैध मदरसे को सील किया गया है। ऐसे कुछ अवैध मदरसे भी चिन्हित किए गए हैं, जिनमें बाहरी राज्यों के बच्चे तालीम ले रहे थे लेकिन उन्हें जरूरी सुविधाओं से वंचित रखा गया था। इस बारे में उत्तराखंड बाल संरक्षण सुधार आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने मदरसा बोर्ड और शासन को पत्र लिखा है।

इन अवैध मदरसों का मामला सुर्खियों में तब आया जब हरिद्वार जिले के मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ते मिले,जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार की खुफिया एजेंसियां जागीं और शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन हरकत में आए। उधम सिंह नगर जिले में एक बड़े मदरसे को सरकार की भूमि पर कब्जा करके अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था, जिसे सील करने के दौरान भूमि दस्तावेज दिखाए जाने का नोटिस जारी किया गया। नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर इसे ध्वस्त करके जिला प्रशासन ने अपना कब्जा वापस ले लिया। सहसपुर में एक विशाल मदरसा ऐसा भी चिन्हित किया गया जिसे नदी श्रेणी की जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया है।

जिला प्रशासन ने इसे सील कर दिया है। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी का कहना है कि हमने पंजीकृत मदरसों में दीनी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा देने का संकल्प लिया है। इसलिए अवैध मदरसे बंद होने चाहिए। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स कहते हैं कि इन मदरसों को आधुनिक मदरसों में तब्दील किया जाना चाहिए ताकि मुस्लिम बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ आगे बढ़ सकें। उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली कहते हैं कि अवैध मदरसों और वैध मदरसों की फंडिंग की जांच पड़ताल कराई जा रही है।